Total Pageviews

31.10.10

व्यंग:-मुलाकात एक रूह से



एक दिन की बात है मै रात के १२ बजे साजन चौधरी के खेत से वापस घर की और आ रहा था। तभी एक घने पेड के के पास एक आकृति नज़र आई मैंने ध्यान न दिया और वहां से गुजरने लगा तभी एक आवाज आयी -------कहाँ जा रहा है?मैंने देखा एक सफ़ेद गाउन पहने एक ओरत खड़ी है, मैंने पुछा:- तुम कौन हो?और यहाँ पर फेसिअल लगाकर क्या कर रही हो ?
मै एक रूह हूँ (शरमाते हुए )मैंने चहेरे पर फेसिअल नहीं लगया है ! भूत लोगो के चहेरे ऐसे ही होते है मै:-(डरते हुए) तो आप पेड के पास क्या कर रही हो ?
रूह:-मै इसी पेड पर रहती हूँ
मैं:-भूत लोग सफ़ेद ड्रेस ही क्यों पहनती हो ?और रात को ही क्यों निकलती हो?
रूह:- कलरफुल ड्रेस पहनना हमारे संसार मै मना है,और दिन मे हम सब भूत अपने संगठन के लिए काम करते हैं
मैं :- हैं ! आपका संसार भी होता है ?और आप लोगो के भी संगठन होते हैं /
रूह:-हाँ, दिन में हम कई रूहे मिलकर नयी-नयी रूहों का समर्थन प्राप्त करने के लिए घूमते रहते हैं ।
मैं :-तो आप किस संगठन से हैं ?
रूह:-इरप (इंडियन रूह पार्टी) हमारी तरह और भी संगठन हैं।
मैं:-अरे !आप में भी देश का नाम प्रयोग होता है ।
रूह:- हाँ, दुसरे देशो के भूतो में भी ऐसा होता है ।
मैं:- मैं समझा नहीं?
रूह :-अरे! भैयाजी इसके आलावा हम सबका अलग -अलग राज्य भी बँटा है?
मैं :- मतलब ?
रूह :-जैसे हमारी रूहे महाराष्ट्रया मे नहीं जा सकती हैं! बस बाकि आप समझदार हो
मैं :-ये संगठन का चक्कर भूतो में केसे चालू हो गया?
रूह :-आप इंसानों की वजह से हम रूहों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है
मैं :- वो कैसे?
रूह:- आपके संसार के कई जीवजन्तु पेड़-पोधे पंछी विलुप्त जो हो रहे हैं।
मैं:- अच्छा! ये बतिए आप लोगो के पैर उलटे क्यों होते हैं?
रूह :-(हँसते हुए) क्योंकि सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलता है......
रूह :-अच्छा अब सुबह होने वाली है भाग जाओ यहाँ से
मैं :-आप मुझे मरेगी नहीं? और सुबह तो मोर्निंगवाक् के लिए निकलना चाहिए ?
रूह :-(गुस्सा होते हुए) तेरे संसार में बाढ़, बीमारियाँ,हवा सड़क, और रेल की पटरियों पर मौत दोड़ती है , मैं तुझे क्यों मारू और मोर्निंगवाक् कहाँ से जाऊ वो देखो? लोटा लिए कितने लोग मैदान जा रहे है , पूरा मैदान गंदा कर देते हैं अब भाग तू यहाँ से पूरी रात बर्बाद कर दी तुने।
मै भी डरते हुए नहीं, सोचते हुए घर की और चल पडा ।

1 comment:

  1. वन्दे मातरम,
    आपके ब्लॉग में आकर और आपके द्वारा लिखित पोस्ट पढ़कर आत्मीय प्रसन्नता हुई, मै आपका आभारी हूँ जो आपने मेरे नवोदित ब्लॉग में आकर मुझ अकिंचन का उत्साह बढाया और इस बेहतरीन ब्लॉग तक आने का मार्ग प्रसस्त किया मै आपसे विनम्र निवेदन करता हूँ की भविष्य में भी आप मुझे मार्गदर्शन प्रदान करते रहें ...
    "भारतीय"

    ReplyDelete

Popular Posts