प्राचीन काल में गरीबी में जन्मा एक ऐसा व्यक्ति जो देखते ही देखते जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन बैठा और उस व्यक्ति का नाम था रावण उर्फ़ दशानन उसके नाम पर हर प्रकार का जुर्म दर्ज है(ग्रंथों में) जैसे ह्त्या करना तख्ता पलटना(पड़ोस के देशों में इसका प्रभाव ज्यादा है),लूटपाट कराना,तस्करी करना,दंगा करवाना,अपहरण करना आदि ।
उसके पास निजी जेट विमान था और वह परमाणु शक्ति संम्पन्न था (ब्रहमास्त्र) उसके कर्मों की सज़ा तो उस जमाने के हीरो राम ने दे दी थी और उसके पूरे वंश को ख़त्म कर दिया था लेकिन आज भी उसके द्वारा किये गए सभी कार्य जीवित है खैर चलते है मृत्युलोक में बैठे रावण और उनके भाई विभीषण के बीच हो रहे वार्तलाप को दर्शाने ...(काल्पनिक)
विभीषण:- भ्राता श्री, सत्य और असत्य क्या है?
रावण:- असत्य समुद्र के जैसा है जिसका पानी मेरे प्रभाव से खारा हो गया था और उसमे मैंने जगह जगह बुराइयों के पहाड़ खड़े किये थे और असत्य उस पुल की तरह से है जिसे श्री राम ने चीर कर बनाया था सत्य हनुमान की तरह है, जिन्हें मेरे द्वारा खड़े किये गए बुराइयों के पहाड़ भी डिगा न सके हनुमान की तरह एक छोटा सा सत्य पूरे असत्य से भरे हुए समुद्र पर भी भरी पड़ सकता है अर्थात एक छोटा सा सत्य हजारों असत्य से भरे हुए समुद्रों पर भारी है
विभीषण:- भ्राता श्री, आप को याद है की श्री राम से पहले बाली नाम के शूरवीर गुंडे ने आप की आधी शक्ति लेकर ६ माह तक आप को अपनी बगल में कैसे बंधक बनाकर रखा था
रावण:-हाँ याद है, पर बाली ने मुझे छोड़कर गलती की थी मेरी शक्तियाँ तो लौटा दी थी, लेकिन मेरी बुराइयां वापस नहीं दी थीं इसलिए उसने भी वही हरकते करना शुरू कर दिया था जो मैंने की थी इसलिए वह भी सत्य के द्वारा मारा गया था ।
विभीषण:-कलयुग में तो हर इन्सान पर आपका प्रभाव दिखयी देता है फिर भी इन्सान कहता है की हर दिलो में राम बैठे हैं?
रावण:-हाँ विभीषण ये सही है की मेरा प्रभाव संसार के हर इन्सान पर दिखाई देता है,किन्तु अगर किसी भी इन्सान के माता, बहन, पुत्री व पत्नी को (मेरे प्रेम के वसीभूत होकर) छेड़ता है, तो उनके दिलो के अन्दर बैठे श्री राम तुरंत उठ खड़े होते हैं चाहे उस व्यक्ति पर मेरा प्रभाव कितना ही क्यों न हो इसलिए कहते हैं "सर्वत्र रमते इति राम:"
"सर्वत्र रमते इति राम:"
ReplyDeletesoni ji kabhi is par bhi nagar dalen
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सबसे पहले एहसास पर टिप्पणी करने के लिए शुक्रिया। आपने बिल्कुल सही कहा है। आज हर इंसान के अन्दर रावण बैठा हुआ है।
ReplyDeleteअति सुन्दर व्याख्या.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर . सच में पहला डॉन. मेरे ब्लॉग पर टिपण्णी के के लिए धन्यबाद.
ReplyDeleteRam aur Ravan hamare ander vyapt achchhai aur buraai ke hi pratik hai. bahut hi arthpurn rachna.
ReplyDeleteravindra ji aap bahut achh likhte hai..aise hi likhte rahiyega...superb...
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