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20.6.11

हिन्दू समाज में फैली कुरीतियाँ

आज हिन्दू समाज में फैली कुरीतियों के कारण हिन्दू समाज के आस्था के प्रतीक अर्श से फर्श पर हैं



संक्षेप में अपनी बात ...............



गंगा नदी:- १.गंगा नदी को पिकनिक स्थल बना दिया है,पिकनिक मनाने के बाद गंदगी उसी में
                    फेक  दी जाती है

                  २. गंदे पानी का बहाव, मरे जीवो का बहाव, पालिथीन का बहाव तो आम बात है



संस्कृत भाषा:- १. हिन्दू समाज का इस भाषा से लगाव हुआ कम

                                   २.कई भाषाओ की जन्मदयानी भाषा



गाय:-१. प्राचीन समय में घरो में गायो के होने से "नन्द" और "महानन्द" की उपाधि से विभूषित 
             किया  जाता था

         २. वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से भी सिद्ध हो चुका है कि गाय का दूध और मूत्र, गोबर सभी उपयोगी हैं



हवन:-    १.हवन करना हुआ कम जबकि सिद्ध हुआ कि हवन से पर्यावरण कि शुद्धी होती है

              २. लोगो के तर्क व्यर्थ के कामो में रूपया खर्च क्यों करे



पीपल का पेड़:-   १. ब्रह्मदेव का स्थान माना जाता है

          २. वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से भी सिद्ध हो चुका है कि सबसे जायदा ऑक्सीजन छोड़ने वाला पेड़ है

           ३.फिर भी लोग घर के आस पास तो छोड़ दो दूर मैदानों में लगाने के लिए तैयार नहीं 
               अपवाहो के कारण........



बरगद का पेड़ :-१. लम्बी उम्र का प्रतिक माना जाता है

                           २. हिन्दू समाज में "बर्गादायी पूजा" का बड़ा महत्व

                           ३.इसकी जड़े दूर तक जमीनों को जकड कर रखती हैं इसके फल ओषधि के रूप
                              में  काफी महत्व रखते हैं



कर्मकांडी ब्राह्मन:-१. संख्या हुई कम उनका मानना इनकम न के बराबर सम्मान भी नहीं रहा

                            २. अन्य धर्मो में अपनी इनकम का एक छोटा सा भाग देना अनिवार्य जिससे
                                 उनका धर्म आगे बड़े



शेर:- देवी माँ कि सवारी के रूप में पूज्य विलुप्त होने के कगार पर .............



बैल:-देवता के वाहन के रूप में पूज्य, मेहनत का प्रतीक विलुप्त होने के कगार पर



हाथी:-देवता के वाहन के रूप में पूज्य संख्या हुई कम...............................





"हाँ ये साजिश है हिन्दू धर्म के प्रति और इसका जिम्मेदार स्वयं हिन्दू समाज है"

आप सब से हाथ जोडकर अनुरोध है ...........................................

...............

12.6.11

KISHORE KUMAR

AANE   VALA PAL JANE VALA HAI ..............................................................................................





31.10.10

व्यंग:-मुलाकात एक रूह से



एक दिन की बात है मै रात के १२ बजे साजन चौधरी के खेत से वापस घर की और आ रहा था। तभी एक घने पेड के के पास एक आकृति नज़र आई मैंने ध्यान न दिया और वहां से गुजरने लगा तभी एक आवाज आयी -------कहाँ जा रहा है?मैंने देखा एक सफ़ेद गाउन पहने एक ओरत खड़ी है, मैंने पुछा:- तुम कौन हो?और यहाँ पर फेसिअल लगाकर क्या कर रही हो ?
मै एक रूह हूँ (शरमाते हुए )मैंने चहेरे पर फेसिअल नहीं लगया है ! भूत लोगो के चहेरे ऐसे ही होते है मै:-(डरते हुए) तो आप पेड के पास क्या कर रही हो ?
रूह:-मै इसी पेड पर रहती हूँ
मैं:-भूत लोग सफ़ेद ड्रेस ही क्यों पहनती हो ?और रात को ही क्यों निकलती हो?
रूह:- कलरफुल ड्रेस पहनना हमारे संसार मै मना है,और दिन मे हम सब भूत अपने संगठन के लिए काम करते हैं
मैं :- हैं ! आपका संसार भी होता है ?और आप लोगो के भी संगठन होते हैं /
रूह:-हाँ, दिन में हम कई रूहे मिलकर नयी-नयी रूहों का समर्थन प्राप्त करने के लिए घूमते रहते हैं ।
मैं :-तो आप किस संगठन से हैं ?
रूह:-इरप (इंडियन रूह पार्टी) हमारी तरह और भी संगठन हैं।
मैं:-अरे !आप में भी देश का नाम प्रयोग होता है ।
रूह:- हाँ, दुसरे देशो के भूतो में भी ऐसा होता है ।
मैं:- मैं समझा नहीं?
रूह :-अरे! भैयाजी इसके आलावा हम सबका अलग -अलग राज्य भी बँटा है?
मैं :- मतलब ?
रूह :-जैसे हमारी रूहे महाराष्ट्रया मे नहीं जा सकती हैं! बस बाकि आप समझदार हो
मैं :-ये संगठन का चक्कर भूतो में केसे चालू हो गया?
रूह :-आप इंसानों की वजह से हम रूहों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है
मैं :- वो कैसे?
रूह:- आपके संसार के कई जीवजन्तु पेड़-पोधे पंछी विलुप्त जो हो रहे हैं।
मैं:- अच्छा! ये बतिए आप लोगो के पैर उलटे क्यों होते हैं?
रूह :-(हँसते हुए) क्योंकि सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलता है......
रूह :-अच्छा अब सुबह होने वाली है भाग जाओ यहाँ से
मैं :-आप मुझे मरेगी नहीं? और सुबह तो मोर्निंगवाक् के लिए निकलना चाहिए ?
रूह :-(गुस्सा होते हुए) तेरे संसार में बाढ़, बीमारियाँ,हवा सड़क, और रेल की पटरियों पर मौत दोड़ती है , मैं तुझे क्यों मारू और मोर्निंगवाक् कहाँ से जाऊ वो देखो? लोटा लिए कितने लोग मैदान जा रहे है , पूरा मैदान गंदा कर देते हैं अब भाग तू यहाँ से पूरी रात बर्बाद कर दी तुने।
मै भी डरते हुए नहीं, सोचते हुए घर की और चल पडा ।

28.10.10

जय हो ! @ मिलावटखोरो की @

  मिलावटखोर ऐसा सजीव जीवाणु है जो समाज में हर तरफ व्याप्त है

आप को कानपुर की एक घटना बताता हूँ वहां पर हरी धनिया के आलू बहुत प्रसिद्ध हैं एक बार दूकान पर जाकर देखने के बाद पता चला वो दुकानदार थोडा सा दही लेकर उसमे पानी मिलाता है फिर छोटी शीशी निकालकर तीन चार बूंदे उस दही पर गिराता है देखते ही देखते वो हरी धनिया की चटनी की तरह हो जाता है साथ ही महक भी बिलकुल वैसी ही है फिर उसमे उबली व कटी आलू डाल देता है बस फिर क्या तैयार है हरी धनिया के आलू..............



सावधान हो जाइये इन दैनिक उपभोग की वस्तुएं लेने से

दूध:-भारत में दूध देने वाले जानवर है कम,फिर भी देश दुग्ध उत्पादन में है नम्बर १

जय हो, जय हो,जय हो ...................

दवाइयां:-नकली दवाइयों की भरमार खाकर हो जाइये स्वस्थ रहने के लिए तैयार

जय हो, जय हो,जय हो ...................

तेल:-सरसों का हो या किरोसीन, डीजल व पेट्रोल सभी में हो रही बम्पर मिलावट दिल की बीमारी व शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ाने के लिए हो जाइये तैयार जय हो, जय हो,जय हो ..................

.दालें:-इनमे भी मिलावट का पूरा ध्यान रखा जाता है अरहर की जगह खेसारी की दाळ खिलाई जाती है जिससे अपने शरीर को हानि पहुँचाने के लिए तैयार रहिये

जय हो, जय हो,जय हो ...................

सब्ब्जियाँ व फल:-बाजार में टमाटर,परवल,बैंगन,मटर,पालक,केले (कार्वेट से पके) सभी मिलेंगे आपको हमेसा मुस्कराते हुये ,रंगों की चमक के साथ

जय हो जय हो जय हो ..................

नामी कंपनियों के मिलते जुलते ब्रांड:-कंपनियों के उत्पाद को चूना लगते ये प्रोडक्ट तर्क:-माल वही है .......बड़ी कम्पनियाँ विज्ञापन पर ज्यादा खर्च करती है इसलिए...............

जय हो जय हो जय हो ...................

होटल का भोजन:-बनी दाळ में चावल का पानी का मिलाव गाढ़ा करने के लिए.........सब्ब्जियों की तरी में बेसन का मिलाव कमाने के लिए।

गृहणियों के लिए नयी जानकारी अतिथि देवो भवः पर आजमाने के लिए

हो जय हो जय हो ...................

शराब:-कच्ची शराब की धधकती भट्ठियां (मौत का दूसरा नाम)सॉरी ये क्या लिख दिया मैंने..............

.जय हो जय हो जय हो ..................

.चाट व पकौड़ी:-बेसन की जगह आंटे का मिलाव,गोलगप्पे के पानी में टाटरी की मिलावट................खाए जाओ खाए जाओ पीलिया को दावत देते जाओ

जय हो जय हो जय हो..........

.पर्यावरण:-जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण पर्यावरण भी तो शुद्ध नहीं रहा आक्सीजन के साथ साथ तीन चार गैसें भी बिलकुल फ्री.......

.जय हो जय हो जय हो ...................



सहयोग कर्ता :--- संजय तिवारी,

यानी लेखन में भी मिलावट

जय हो जय हो जय हो...........

17.10.10

रावण >-----> दुनिया का पहला डॉन

@@@@ रावण@@@@@ >-----> दुनिया का पहला डॉन
प्राचीन काल में गरीबी में जन्मा एक ऐसा व्यक्ति जो देखते ही देखते जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन बैठा और उस व्यक्ति का नाम था रावण उर्फ़ दशानन उसके नाम पर हर प्रकार का जुर्म दर्ज है(ग्रंथों में) जैसे ह्त्या करना तख्ता पलटना(पड़ोस के देशों में इसका प्रभाव ज्यादा है),लूटपाट कराना,तस्करी करना,दंगा करवाना,अपहरण करना आदि ।
उसके पास निजी जेट विमान था और वह परमाणु शक्ति संम्पन्न था (ब्रहमास्त्र) उसके कर्मों की सज़ा तो उस जमाने के हीरो राम ने दे दी थी और उसके पूरे वंश को ख़त्म कर दिया था लेकिन आज भी उसके द्वारा किये गए सभी कार्य जीवित है खैर चलते है मृत्युलोक में बैठे रावण और उनके भाई विभीषण के बीच हो रहे वार्तलाप को दर्शाने ...(काल्पनिक)
विभीषण:- भ्राता श्री, सत्य और असत्य क्या है?
रावण:- असत्य समुद्र के जैसा है जिसका पानी मेरे प्रभाव से खारा हो गया था और उसमे मैंने जगह जगह बुराइयों के पहाड़ खड़े किये थे और असत्य उस पुल की तरह से है जिसे श्री राम ने चीर कर बनाया था सत्य हनुमान की तरह है, जिन्हें मेरे द्वारा खड़े किये गए बुराइयों के पहाड़ भी डिगा न सके हनुमान की तरह एक छोटा सा सत्य पूरे असत्य से भरे हुए समुद्र पर भी भरी पड़ सकता है अर्थात एक छोटा सा सत्य हजारों असत्य से भरे हुए समुद्रों पर भारी है
विभीषण:- भ्राता श्री, आप को याद है की श्री राम से पहले बाली नाम के शूरवीर गुंडे ने आप की आधी शक्ति लेकर ६ माह तक आप को अपनी बगल में कैसे बंधक बनाकर रखा था
रावण:-हाँ याद है, पर बाली ने मुझे छोड़कर गलती की थी मेरी शक्तियाँ तो लौटा दी थी, लेकिन मेरी बुराइयां वापस नहीं दी थीं इसलिए उसने भी वही हरकते करना शुरू कर दिया था जो मैंने की थी इसलिए वह भी सत्य के द्वारा मारा गया था ।
विभीषण:-कलयुग में तो हर इन्सान पर आपका प्रभाव दिखयी देता है फिर भी इन्सान कहता है की हर दिलो में राम बैठे हैं?
रावण:-हाँ विभीषण ये सही है की मेरा प्रभाव संसार के हर इन्सान पर दिखाई देता है,किन्तु अगर किसी भी इन्सान के माता, बहन, पुत्री व पत्नी को (मेरे प्रेम के वसीभूत होकर) छेड़ता है, तो उनके दिलो के अन्दर बैठे श्री राम तुरंत उठ खड़े होते हैं चाहे उस व्यक्ति पर मेरा प्रभाव कितना ही क्यों न हो इसलिए कहते हैं "सर्वत्र रमते इति राम:"

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